कॉरपोरेट की सामाजिक जिम्मेदारी
सीएसआर गतिविधियों के लिए उद्योगों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आमंत्रण
वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने वर्षों से वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान किया है एवं राष्ट्र निर्माण में और अधिक योगदान के लिए प्रतिबद्ध है। सीएसआईआर तथा इसकी प्रयोगशालाएं विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी निधि का उपयोग करने हेतु उद्योगों एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ मिलकर काम करना चाहती हैं क्योंकि कॉरपोरेट क्षेत्र अनुसंधान व विकास में कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी निधि भेजना चाहता है । सीएसआर निधि का विस्तार, देश में अनुसंधान व विकास गतिविधियां बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है तथा सामाजिक समस्याओं के अपेक्षित समाधान पाने के लिए अनुसंधान व प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने हेतु देश में अनुसंधान और विकास में बड़े निवेश के लिए नई विंडो खोलने में सहायता करेगा ।
सीएसआईआर-निस्टैड्स, शोध व विकास गतिविधियों/ कार्यक्रमों के लिए सीएसआर निधि टैप करने हेतु कॉरपोरेट के साथ कार्य करने के अवसर की तलाश कर रहा है । इस संस्थान में बहुविषयी क्षमता वाले संकाय एवं शोधार्थी हैं तथा सरकारी अभिकरणों जैसे डीएसटी, डीबीटी, नीति आयोग, राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और अंतरराष्ट्रीय अभिकरणों अर्थात् आईएलओ, वैट्रो, यूनेस्को इत्यादि के लिए अनेक प्रायोजित अध्ययन संचालित हैं। सीएसआईआर-निस्टैड्स में एक जीवंत अतिथि विद्वान कार्यक्रम संचालित है जिसके तहत भारत और विदेश के शोधकर्ताओं को संस्थान में आने के लिए आमंत्रित किया जाता है ।
सीएसआईआर-निस्टैड्स, एक नीति एडवोकेसी संस्थान होने के नाते, भारत सरकार की नीतियोंं और सतत विकास के लक्ष्यों; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग, मूल्यांकन तथा योजना, भविष्य की प्रयोज्य विज्ञान व प्रौद्योगिकी, विज्ञान व प्रौद्योगिकी का सामजिक-अर्थशास्त्र, जलावायु परिवर्तन,अनुकूलन, मिटिगेशन, स्थायित्व, एसएंडटी मैपिंग, सामजिक-अर्थशास्त्र इम्पैक्ट असेसमेंट, लोक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी इत्यादि को सम्मिलित करते हुए अनेक क्षेत्रों में कार्य कर रहा है ।
सीएसआईआर-निस्टैड्स निम्नलिखित क्षेत्रों में संयुक्त रूप से कार्य करने के लिए उद्योगों तथा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को आमंत्रित करता है:
· ग्रामीण विकास
· पर्यावरणीय संपोषणीयता
· स्वास्थ्य उपचार, स्वच्छता, सुरक्षित पेयजल
· शिक्षा, व्यावसायिक कौशल
· आजीविका में बढ़ोत्तरी
· महिला सशक्तिकरण
· सामाजिक-आर्थिक विषमताएं